संसद की संयुक्त संसदीय समिति ने ‘व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षा विधेयक’ पर अपनी रपट पेश कर दी है। संसद के अगले सत्र में कुछ दिन बाद ही यह विधेयक कानून का रुप ले सकता है। इस समिति के 30 सदस्यों में से छह ने इस विधेयक से अपनी असहमति जताई है। इस विधेयक का उद्देश्य है, सरकार, संस्थाओं और व्यक्तियों की निजता की रक्षा करना।
किसी भी व्यक्ति या संगठन की जासूसी करने की तैयारी में है सरकार
- विचार
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- 24 Nov, 2021

‘व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षा विधेयक’ के अनुच्छेद 35 के अनुसार सरकार की एजेन्सियां ‘शांति और व्यवस्था’, ‘संप्रभुता’, ‘राज्य की सुरक्षा’ के बहाने किसी भी व्यक्ति या संगठन की जासूसी कर सकती हैं और किसी को भी कोई आपत्ति करने का अधिकार नहीं होगा।
दूसरे शब्दों में उनके लेन-देन, कथनोपकथन, गतिविधि, पत्र-व्यवहार आदि पर निगरानी रखना यानि यह देखना कि कोई राष्ट्रविरोधी गतिविधि तो चुपचाप नहीं चलाई जा रही है। इस निगरानी के लिए जासूसी-तंत्र को अत्यधिक समर्थ और चुस्त बनाना आवश्यक है।
इस दृष्टि से कोई भी सरकार चाहेगी कि उसके जासूसी-कर्म पर कोई भी बंधन नहीं हो। वह निर्बाध जासूसी, जिस पर चाहे, उस पर कर सके।