प्रसिद्ध अमेरिकी अख़बार ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के इस सनसनीख़ेज़ खुलासे पर प्रधानमंत्री, उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों और सत्तारूढ़ दल के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं ने चुप्पी साध रखी है कि अपने ही देश के नागरिकों की जासूसी के उद्देश्य से सैंकड़ों करोड़ की लागत वाले उच्च-तकनीक के पेगासस उपकरण सरकार ने इज़राइल की एक कम्पनी से ख़रीदे थे।
जनता के धन से जनता की ही जासूसी? लोकतंत्र अमर रहे!
- विचार
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- 3 Feb, 2022

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अपनी साल भर की खोजबीन के बाद मैक्सिको, सऊदी अरब सहित जिन तमाम देशों में हुकूमतों द्वारा पेगासस उपकरणों के ज़रिए सत्ता-विरोधियों की जासूसी करने का खुलासा किया है उसके प्रकाश में कल्पना की जा सकती है कि भारतीय लोकतंत्र को लेकर किस तरह की मान्यताएँ दुनिया में स्थापित हो सकती हैं।
अख़बार की खबर के मुताबिक़, दो अरब डॉलर मूल्य के आधुनिक हथियारों की ख़रीद के साथ ही नागरिकों के निजी मोबाइल फ़ोन में उच्च तकनीकी के ज़रिए प्रवेश करके उनके क्रिया-कलापों की जासूसी करने में सक्षम उपकरणों को भी हासिल करने का सौदा प्रधानमंत्री की जुलाई 2017 में हुई इज़राइल यात्रा के दौरान किया गया था। किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की वह पहली इज़राइल यात्रा थी।
उत्तर प्रदेश सहित पाँच राज्यों में होने जा रहे महत्वपूर्ण चुनावों के ऐन पहले अमेरिकी अख़बार द्वारा किए गए उक्त खुलासे के पहले तक देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था संसद, न्यायपालिका, विपक्षी पार्टियां और नागरिक पूरी तरह से आश्वस्त थे कि न तो सरकार ने पेगासस उपकरणों की ख़रीदी की है और न ही उनके ज़रिए किसी तरह की जासूसी को अंजाम दिया गया। वह यक़ीन अब पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है।