जनसंख्या नियंत्रण के लिए मोदी जी ने जनता से एक ज़बरदस्त अपील की और कम बच्चे पैदा करने वालों को देश भक्त कहा (वैसे लालू यादव की नौ संतानें हैं लेकिन राहुल ने तो शादी भी नहीं की है)। संदेश अच्छा है लेकिन मोदी से सवाल पूछा जा सकता है कि देश-भक्त कौन है। बीजेपी के 15 साल के शासन काल में बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सकल प्रजनन दर (टीआरएफ़) को लेकर परिवार नियोजन कार्यक्रम सबसे ज़्यादा असफल रहा और पिछले दो साल में भी उत्तर प्रदेश वहीं का वहीं है, जबकि दक्षिण के सभी ग़ैर-बीजेपी शासित राज्य केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक (अब आपके हाथ फिर आया है) में राष्ट्रीय औसत से काफ़ी बेहतर है।
मोदी सरकार के तमाम फ़ैसलों पर विपक्ष क्यों है चुप?
- विचार
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- 29 Mar, 2025

प्रतिस्पर्धी प्रजातंत्र में अगर विपक्ष सरकार के बड़े लेकिन उनकी समझ में ग़लत फ़ैसले पर भी मौन रहता है तो उसे राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। क्या राम मंदिर पर लोकसभा में सरकार बहुमत के कारण बिल पास कराये तो विपक्ष को इसलिए चुप रहना चाहिए कि आपके हिसाब से यह बहुसंख्यक समुदाय की भावना का मुद्दा है?
अब देश-भक्त किसे माना जाए? ऊपर से तुर्रा यह कि बिहार परिवार नियोजन कार्यक्रम को लेकर सबसे फिसड्डी है। वहाँ का टीआरएफ़ (3.2) राष्ट्रीय औसत (2.2) से आज भी काफ़ी अधिक है। लिहाज़ा बिहार में आबादी घनत्व (क़रीब 1200 प्रति वर्ग किलोमीटर) राष्ट्रीय घनत्व (422) का तीन गुना है तो क्या किसी दिन मोदी जी अपने सहयोगी दल के नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी देश-भक्ति की नयी परिभाषा से बाहर करेंगे? यहाँ तक कि बिहार में कंडोम की कमी 40 प्रतिशत है जो किसी भी राज्य सरकार के लिए शर्म की बात है।