नई दिल्ली में पहले (बुधवार को) नीतीश-तेजस्वी की फिर (गुरुवार को) शरद पवार की राहुल गांधी और माल्लिकार्जुन खड़गे से हुई महत्वपूर्ण मुलाक़ातों ने कोलकाता और लखनऊ से निकलने वाली विपक्षी आवाज़ों के सुर भी बदल दिए हैं! अभिषेक बनर्जी द्वारा केंद्र पर किया गया ताज़ा हमला और गैंगस्टर अतीक अहमद के बेटे के एनकाउंटर को लेकर अखिलेश द्वारा योगी सरकार के ख़िलाफ़ किया गया हमला इसका उदाहरण है। हाल के अपने विवादास्पद इंटरव्यू और बयानों से उठे तूफ़ान के तत्काल बाद शरद पवार का राहुल गांधी से मिलने दिल्ली पहुँचना भी एक बहुत बड़ी घटना है। इसे राहुल गांधी की देश के लिए ज़रूरत के प्रति पवार के अप्रत्याशित सम्मान का सार्वजनिक प्रदर्शन भी माना जा सकता है।
लालू ने आडवाणी का 'रथ' रोका था; नीतीश रोक पाएँगे मोदी का 'रथ'?
- विचार
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- 14 Apr, 2023

लालू यादव ने बत्तीस साल पहले लालकृष्ण आडवाणी के ‘राम रथ’ को बिहार के समस्तीपुर में रोकने का साहस दिखाया था। क्या नीतीश कुमार विपक्षी एकता से 2024 में मोदी के ‘विजय रथ’ को रोकने की हिम्मत दिखा सकते हैं?
प्रधानमंत्री पिछले साल की बारह जुलाई को पटना में थे। वे वहाँ बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह में भाग लेने पहुँचे थे। इस अवसर पर मोदी की मुलाक़ात तेजस्वी यादव से होनी ही थी। तेजस्वी के साथ संक्षिप्त बातचीत में पीएम ने राजद नेता को सलाह दे डाली कि उन्हें अपना वज़न कुछ कम करना चाहिए। तेजस्वी ने मोदी के चैलेंज को मंज़ूर कर लिया। तेजस्वी ने न सिर्फ़ खुद का वज़न कम करके उसे नीतीश कुमार के साथ बाँट लिया, बिहार का राजनीतिक होमोग्लोबीन दुरुस्त करने के बाद अब दोनों नेता मुल्क की सेहत ठीक करने के काम में जुट गए। 26 फ़रवरी को हुई पूर्णिया (बिहार) की रैली में उन्होंने संकेत दे ही दिए थे।