देश की अर्थव्यवस्था की ख़राब हालत को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में जो कहा वह भले ही गंभीर है पर देश के अख़बारों में इसे वैसी प्रमुखता नहीं मिली जैसी आम तौर पर इस सरकार के आरोपों या कांग्रेस के ख़िलाफ़ लगाए जाने वाले आरोपों को मिलती रही है। उन्होंने कहा है, ‘... सरकारी बैंक अब तक उस दलदल से बाहर आने के लिए सरकार के इक्विटी इनफ्यूज़न पर आश्रित हैं। राजन ने असेट क्वालिटी रिव्यू ज़रूर किया, लेकिन आज बैंकों की जो हालत है वह उस समय से शुरू हुई है।’ रघुराम राजन इसका जवाब दे चुके हैं फिर भी निर्मला सीतारमण ने इसे दोहराया है।
सिर्फ़ मनमोहन को कोसकर डूबती अर्थव्यवस्था को संभालेंगी निर्मला?
- विचार
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- 18 Oct, 2019

निर्मला सीतारमण ने देश की आर्थिक स्थिति ख़राब होने के लिए पिछली सरकार को ज़िम्मेदार बता दिया है। क्या सिर्फ़ दूसरे को दोष देकर समस्या का समाधान हो जाएगा?
वैसे तो यह बैंकों के बारे में कहा गया है पर सब जानते हैं कि बैंकों की यह हालत क्यों और कैसे हुई है। यही नहीं, बैंकों की हालत को लेकर इस समय लोगों की चिंता पीएमसी बैंक के मामले में रिज़र्व बैंक का आदेश है। नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या आदि का क़र्ज़ लेकर विदेश भाग जाना भी चर्चा में रहा है। ये किसके क़रीबी हैं यह किसी से छिपा नहीं है। ऐसे में बैंकों की हालत के लिए रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ज़िम्मेदार ठहराना कहीं से किसी को ठीक नहीं लगेगा। इस बयान को अख़बारों में प्रमुखता नहीं मिलने से इस बात की पुष्टि भी हो गई है।