रविवार (3 नवंबर) के अख़बारों में एक छोटी सी ख़बर अंदर के पन्नों पर थी और जाहिर है, बहुत महत्वपूर्ण नहीं होगी। पर इससे सरकार के काम करने का तरीका और सरकारी अधिकारियों के पास उपलब्ध प्रचुर क़ानूनी अधिकारों का पता चलता है। कहावत है कि पानी में रहकर मगर से बैर नहीं लिया जाता और कोई कारोबारी क्यों सरकार या आयकर विभाग वालों से बैर लेगा। इसलिए गाड़ी चलती रहती है पर कुछ मामले आपको यह सोचने के लिए मजबूर करते हैं कि ऐसा क्यों हुआ होगा और क्या यह सही है। इन दिनों देश में मंदी, बेरोज़गारी और घटते जीडीपी की चिन्ता है। ऐसे में ऐसी हर छोटी सूचना का विशेष महत्व है।