इस बात में दो राय नहीं है कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय इसलिए हुआ कि शेख अब्दुल्ला और जवाहरलाल नेहरू एक-दूसरे का बहुत ही ज़्यादा विश्वास करते थे, लेकिन विलय के बाद ही हालात इतने बिगड़ने शुरू हो गए कि नेहरू और शेख के बीच बहुत ही बड़े मतभेद हो गए। 1952 आते-आते तो दोनों के बीच बहुत बड़ी खाई बन चुकी थी। नेहरू की सरकार में हर आदमी शेख को नेहरू जी की निजी समस्या मानने लगा था। गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी ने तो एक बार नेहरू से कह ही दिया कि वल्लभ भाई (सरदार पटेल) सोचते हैं कि शेख अब्दुल्ला को डील करना नेहरू का ही काम है। सच बात यह है कि दिल्ली का हर अधिकारी और नेता यही समझता था।