हर साल 23 मार्च (जयंती) और 12 अक्टूबर (पुण्यतिथि) के दिन डॉ. राम मनोहर लोहिया को याद किया जाता है। लेकिन अब उनकी राजनीति को समझने और उस पर अमल करने वालों की संख्या बहुत ही कम हो गयी है। वह 57 साल से ज़्यादा जीवित रहे लेकिन लेकिन कभी भी सत्ता में नहीं रहे। मूल रूप से कांग्रेस के सदस्य के रूप में उन्होंने गाँधीजी की अगुवाई में आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया लेकिन कांग्रेस को द्विज सुप्रीमेसी का संगठन बनाने की कोशिश के ख़िलाफ़ जो कुछ लोग आवाज़ उठाते थे, उसमें डॉ. लोहिया प्रमुख थे। शायद इसीलिए जब कांग्रेस के अन्दर ही 1936 में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना हुई थी तो वह उसके प्रमुख सदस्य थे। अन्य सदस्यों में ईएमएस नम्बूदरीपाद, आचार्य नरेंद्र देव, जयप्रकाश नारायण जैसे चिन्तक शामिल थे।