मैंने 'nayadaur.tv' में एक लेख लिखा था, जिसका शीर्षक था - ‘कोरोना वायरस का ख़तरा बहुत बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया गया है।’ उस लेख में मैंने कहा है कि कोरोना की तुलना में टीबी, मलेरिया, फ्लू, डेंगू आदि संक्रामक रोगों और अन्य बीमारियों जैसे मधुमेह, दिल के दौरे आदि से अधिक लोग मरते हैं या कार दुर्घटनाओं आदि से मरते हैं जबकि कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों में से केवल 2% ही इससे मरते हैं, बाकी सब ठीक हो जाते हैं।
पूरी तरह ग़लत और अमानवीय है देशव्यापी लॉकडाउन
- विचार
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- जस्टिस मार्कंडेय काटजू
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- 3 May, 2020


जस्टिस मार्कंडेय काटजू
लॉकडाउन के कारण देश के दिहाड़ी मजदूरों को भयंकर मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है और उनके भुखमरी से मरने का ख़तरा है। अगर इस अमानवीय लॉकडाउन को तुरंत नहीं ख़त्म किया गया तो जल्द ही बड़े पैमाने पर भुखमरी के कारण खाद्य दंगे होंगे और कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो जाएगी।
जस्टिस मार्कंडेय काटजू
जस्टिस मार्कंडेय काटजू भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं।