महात्मा गाँधी के हत्यारे गिरोह के सरगना नाथूराम गोडसे को महिमामंडित करने के जो प्रयास इन दिनों किए जा रहे हैं, वे नए नहीं हैं। गोडसे का संबंध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बताया जाता रहा है और इसीलिए गाँधीजी की हत्या के बाद देश के तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने संघ पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालाँकि संघ गोडसे से अपने संबंधों को हमेशा नकारता रहा है और अपनी इस सफ़ाई को पुख्ता करने के लिए वह गोडसे को गाँधी का हत्यारा भी मानता है और उसके कृत्य को निंदनीय करार भी देता है। लेकिन सवाल उठता है कि आख़िर क्या वजह है कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के सत्तारूढ़ होने के बाद ही गोडसे को महिमामंडित करने का सिलसिला तेज़ हो गया? इस सिलसिले में एकाएक उसका मंदिर बनाने के प्रयास शुरू हो गए। उसकी 'जयंती’ और 'पुण्यतिथि’ मनाई जाने लगी। उसे 'चिंतक’ और यहाँ तक कि 'स्वतंत्रता सेनानी’ और 'शहीद’ भी बताया जाने लगा।