देश के मौजूदा तनाव भरे माहौल के बीच अपने गणतंत्र के 71 वें वर्ष में प्रवेश करते वक्त हमारे लिए सबसे बड़ी चिंता की बात यही हो सकती है कि क्या वाकई तंत्र और गण के बीच उस तरह का सहज और संवेदनशील रिश्ता बन पाया है जैसा कि एक व्यक्ति का अपने परिवार से होता है? आखिर आज़ादी और फिर संविधान के पीछे मूल भावना तो यही थी। आज़ादी मिलने से पहले महात्मा गाँधी ने इस संदर्भ में कहा था -