सैंतालीस साल यानी करीब साढ़े चार दशक पुराने आपातकाल के कालखंड को हर साल 25-26 जून को याद किया जाता है, लेकिन पिछले सात-आठ साल से उस दौर को सत्ता के शीर्ष से कुछ ज्यादा ही याद किया जा रहा है। सिर्फ आपातकाल की सालगिरह पर ही नहीं बल्कि हर मौके-बेमौके याद किया जाता है।

पीएम मोदी 1975 के आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर हमला कर रहे हैं। दो साल पहले अनिल जैन ने इस पर टिप्पणी लिखी थी।
आपातकाल के बाद से अब तक देश में सात गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री हुए हैं, जिनमें से दो-तीन के अलावा शेष सभी आपातकाल के दौरान पूरे समय जेल में रहे थे (जेल में रहने वालों में अटल बिहारी वाजपेयी का नाम भी शामिल किया जा सकता है, हालांकि उन्हें कुछ ही दिन जेल में रहना पड़ा था। बाकी समय उन्होंने पैरोल पर रहते हुए बिताया था) लेकिन उनमें से किसी ने भी कभी आपातकाल को इतना ज्यादा और इतने कर्कश तरीके से याद नहीं किया जितना कि मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते रहते हैं।
राजनीतिक विमर्श में आपातकाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रिय विषय रहता है। वे कांग्रेस को निशाने पर लेने के लिए जब-तब आपातकाल का जिक्र करते रहते हैं- देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी। खासकर किसी भी चुनाव के मौके पर वे अपने भाषणों में लोगों को आपातकाल की याद दिलाना नहीं भूलते। इस समय पांच राज्यों में चुनाव प्रचार के दौरान भी वे अपने लगभग हर भाषण में आपातकाल का जिक्र कर रहे हैं।