मूल विषय पर आने से पहले एक सवाल है। हम कहते हैं कि चुनाव में जाति-धर्म की बात नहीं होनी चाहिए। राजनेता तो यह करते ही हैं, थिंक टैंक समझे जाने वाले संस्थान इसके लिए मसाला तैयार करते हैं। किस जाति-धर्म के कितने प्रतिशत वोटर ने किस पार्टी को वोट दिया, इसके आंकड़े पेश करते हैं। क्या यह लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप है?