गत 4 अप्रैल 2024 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 2024 के आम चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर दिया। पार्टी ने इसे 'न्याय पत्र' का नाम दिया है। इसमें जाति जनगणना, आरक्षण पर 50 प्रतिशत की ऊपरी सीमा हटाने, युवाओं के लिए रोज़गार, इंटर्नशिप की व्यवस्था, गरीबों के लिए आर्थिक मदद आदि का वायदा किया गया है। घोषणापत्र का फोकस महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, ओबीसी, किसानों और युवाओं व विद्यार्थियों के लिए न्याय पर है। कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा कि घोषणापत्र यह वादा करता है कि भाजपा के पिछले 10 सालों के शासनकाल में समाज के विभिन्न तबकों के साथ हुए अन्याय को समाप्त किया जाएगा।
क्या कांग्रेस का घोषणापत्र मुस्लिम लीग की सोच को प्रतिबिंबित करता है?
- विचार
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- 19 Apr, 2024

जिनके विचारधारात्मक पुरखों ने मुस्लीम लीग के साथ सरकार बनाई थी और जिन विचारधाराओं को आंबेडकर मुस्लिम राष्ट्रवाद और हिन्दू राष्ट्रवाद की विचारधाराओं को एक खाँचे में रखते थे, वे आज कांग्रेस के घोषणापत्र पर मुस्लीम लीग की छाप क्यों बता रहे हैं?
नरेन्द्र मोदी ने इस घोषणापत्र की निंदा करते हुए कहा कि घोषणापत्र पर (स्वतंत्रता-पूर्व की) मुस्लिम लीग की विघटनकारी राजनीति की छाप है और यह वाम विचारधारा से प्रभावित है। यह सुनकर भारतीय राष्ट्रवादी विचारधारा के सर्जक और आरएसएस के द्वितीय सरसंघचालक एम.एस. गोलवलकर की याद आना स्वाभाविक है, जिन्होंने अपनी पुस्तक 'बंच ऑफ़ थॉट्स' में बताया है कि हिन्दू राष्ट्र के लिए तीन आतंरिक ख़तरे हैं – मुसलमान, ईसाई और कम्युनिस्ट। इनमें से दो की चर्चा भाजपा समय-समय पर विभिन्न स्तरों पर करती रही है और अब भी करती है।