चुनाव पास हों और मुद्दों की, खासकर जल्दी चुनावी लाभ देने वाले आइडेंटिटी (पहचान) के मुद्दों की कारपेट बॉम्बिंग जारी हो तो किसे याद रहेगा कि इस बीच एक अंतरिम बजट भी आया और सरकार ने अपने कार्यकाल की जगह दस साल पहले के यूपीए राज के दस सालों के आर्थिक कामकाज को लेकर श्वेतपत्र जारी किया तो हड़बड़ी में कांग्रेस ने भी इस सरकार के दस साल के आर्थिक कामकाज पर ब्लैकपेपर (ऐसी कोई चीज पहले नहीं सुनी गई थी) जारी कर दिया।
मोदी सरकार की अर्थव्यवस्था बेहतर या मनमोहन सरकार की थी?
- विचार
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- 14 Feb, 2024

मोदी सरकार श्वेतपत्र यूपीए सरकार पर ले आई तो कांग्रेस ने ब्लैकपेपर पेश किया। आख़िर इनके मायने क्या थे और क्या सच में किसके शासन में अर्थव्यवस्था ठीक रही?
अब अगर दस साल बाद श्वेतपत्र जारी करना अटपटा था तो मौजूदा शासन के कामकाज पर दूसरा श्वेतपत्र देने की जगह ब्लैकपेपर जारी करने का या उसे ऐसा अटपटा नाम देने की क्या जरूरत थी यह तो कांग्रेस के नेता ही बताएंगे। लेकिन इतना कहने में कोई हर्ज नहीं है कि आसपास तारीखों की ही इन तीन महत्वपूर्ण आर्थिक आयोजनों का कोई शोर सुनाई नहीं दिया, और न ही उसके बाद की चर्चा में मोदी जी या राहुल गांधी इन आँकड़ों की चर्चा करते हैं। जाहिर तौर पर जब बीस साल के आर्थिक आँकड़ों तथा मूल्यांकन और आगे की दिशा के संकेत देने वाला बजट आए तो उसमें मुद्दों की क्या कमी हो सकती है। ये बीस साल अर्थव्यवस्था के लिए बड़े महत्व के रहे हैं खासकर 2008 के वैश्विक मंदी के दौर में भी 8.5 फ़ीसदी का विकास दर हासिल करना और करोड़ों लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर करना महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हैं।