पसंद के नौकरशाह बनाने की तरक़ीब यानी ‘लैटरल एंट्री’ को लेकर छिड़े हालिया विवाद में राजनीतिक नुक़सान भाँपकर बैकफ़ुट पर गयी मोदी सरकार के मंत्रियों ने अब कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है। याद दिलाया जा रहा है कि मनमोहन सिंह, सैम पित्रोदा, रघुराज राजन, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, नंदन निलेकणी जैसे लोगों को कांग्रेस या यूपीए सरकार ने ऐसे ही सरकार के साथ काम करने का मौक़ा दिया था। ये ‘नेहरू ज़िम्मेदार’ सिंड्रोम से निकला वही तर्क है जिसकी आड़ में ‘पूर्ण बहुमत’ के साथ दो कार्यकाल पूरा कर चुकने के बाद भी मोदी सरकार तमाम नाकामियों की ज़िम्मेदारी लेने से भागती रहती है।