इस बात को ज़्यादा तवज्जो नहीं दी जानी चाहिए कि नरेंद्र मोदी को नए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने 'मुँह दिखाई' की रस्म अदायगी में ही महात्मा गांधी की अहिंसा और सहिष्णुता का महत्व समझाने की कोशिश कर दी और भारतीय मूल की माँ की कोख से जन्मी उस देश की पहली महिला और अश्वेत उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस ने भी उम्र में उनसे बड़े हमारे प्रधानमंत्री को खड़े-खड़े लोकतंत्र की अहमियत समझा दी।
मोदी को बाइडन की 'मेड इन इंडिया' गांधी जयंती सौगात!
- विचार
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- 1 Oct, 2021

भारत का राजनीतिक नेतृत्व महात्मा गांधी और उनके विचारों से काफ़ी आगे बढ़ चुका है। उसके लिए अब ज़रूरत सिर्फ़ गांधी के आश्रमों (सेवाग्राम और साबरमती) के आधुनिकीकरण या उन्हें भी 'सेंट्रल विस्टा' जैसा ही कुछ बनाने की बची है। सत्ता की राजनीति ने गांधी के ऐतिहासिक अहिंसक 'डांडी मार्च' को हिंसक 'डंडा मार्च' में बदल दिया है।
जो बातें बाइडन और हैरिस ने कहीं उनसे कहीं अधिक और काफ़ी साफ़ लफ़्ज़ों में मोदी जी के 'माई फ़्रेंड बराक' भारत की ज़मीन पर पहले ही बोल चुके थे। वे तो नई दिल्ली से स्वदेश लौटने के ठीक पहले भारत में धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा भी उठा गए थे। कम से कम बाइडन और हैरिस ने इस बाबत कोई भी ज़िक्र नहीं किया।