सूरजभान कर्दम आगरा के जूता उद्योग से जुड़े हैं। 80 के दशक की शुरुआत में उन्होंने अपने जूते के कारखाने की शुरुआत की थी और उसी दौरान वह दलित नेता कांशीराम की दलित शोषित समाज संघर्ष समिति (डीएस4) के संपर्क में आए। तभी से वह 'मान्यवर' के प्रबल समर्थक हो गए।
मायावती के फ़ैसले से क्यों हतप्रभ है दलित समाज!
- विचार
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- 30 Oct, 2020

अक्टूबर की शुरुआत में ही अपने ट्विटर हैंडल पर मायावती ने दलितों पर दमन के आरोप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ‘तत्काल बर्ख़ास्त’ किए जाने की की मांग की थी। बीजेपी को दलित विरोधी बताने वाली बीएसपी सुप्रीमो 3 हफ़्ते में ही अचानक बीजेपी के प्रति सहृदयी कैसे हो गईं, यह बात न तो उनके नेता और कार्यकर्ता समझ पा रहे हैं और न समर्थक।
बीएसपी के गठन के समय से ही वह स्वयं को इसका ‘आंख बंद भोंपू’ मानते आए हैं लेकिन बीते बुधवार और गुरुवार को लखनऊ में घटे घटनाक्रम (राज्यसभा चुनाव में बीजेपी-बीएसपी की जुगलबंदी) से वह चिंतित और बेचैन हो उठे हैं। उनका मन यह नहीं जांच पा रहा है कि जिस मेहनत, लगन और मूल्यों की मोम से 'मान्यवर' ने दलित चेतना की मशाल जलाई थी, उसका भविष्य कहां जा रहा है। आगरा में सूरजभान जैसों की संख्या कम नहीं है।