अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी की पार्टी के साथ चार राज्यों और चंडीगढ़ की 46 सीटों को लेकर अंततः समझौता कर ही लिया! चार राज्यों में गुजरात भी शामिल है जहां 2022 के विधानसभा चुनावों में केजरीवाल ने लगभग तेरह प्रतिशत वोट प्राप्त करके प्रधानमंत्री के 56 इंच के सीने को 156 सीटों में तब्दील करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ‘आम आदमी पार्टी’ के मेयर-पद के उम्मीदवार की धोखाधड़ी के ज़रिए चंडीगढ़ में कराई गई हार ने शायद केजरीवाल का हृदय-परिवर्तन कर दिया।
हालात ‘आपातकाल’ के हैं तो नतीजे भी 1977 जैसे मिलने चाहिए!
- विचार
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- 27 Feb, 2024

गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही ग्वालियर में पार्टी-कार्यकर्ताओं को चुनाव जीतने का मंत्र दिया कि 'कांग्रेस के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को चुनाव से पहले भाजपा में लाएँ'। तो क्या चुनाव में उपलब्धियाँ गिनाने को कुछ नहीं है इसलिए ऐसी रणनीति बन रही है?
अन्ना आंदोलन का स्मरण करें तो केजरीवाल अब उसी पार्टी (कांग्रेस) के साथ मिलकर मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ेंगे जिन्हें 2014 में सत्ता में लाने के लिए उन्होंने दिल्ली के रामलीला मैदान से मनमोहन सिंह सरकार की बर्ख़ास्तगी की मुहिम चलाई थी। केजरीवाल को अहंकार हो गया था कि मोदी को सत्ता से हटाने की क्षमता भी सिर्फ़ उनमें ही है। कांग्रेस से समझौते से पहले ‘आप’ नेता ने पिछले दिनों यहाँ तक दावा कर दिया था कि मोदी अगर 2024 में फिर सत्ता में आ जाते हैं तो 2029 में वे अकेले (केजरीवाल) ही उन्हें हटा देंगे।