युगपुरुष ने इन चुनावों के हर चरण में उत्तरोत्तर इसके प्रमाण दिए हैं कि भाषा की आक्रामकता, जहरीलेपन, विभाजकता, द्वेषपूर्णता, झूठ और भारत की सामाजिक एकता को खंडित और माहौल को दूषित करने वाले आख्यान गढ़ने में उनका कोई मुक़ाबला नहीं है। ऊपर से ऐसा विराट अहंकार।