युगपुरुष ने इन चुनावों के हर चरण में उत्तरोत्तर इसके प्रमाण दिए हैं कि भाषा की आक्रामकता, जहरीलेपन, विभाजकता, द्वेषपूर्णता, झूठ और भारत की सामाजिक एकता को खंडित और माहौल को दूषित करने वाले आख्यान गढ़ने में उनका कोई मुक़ाबला नहीं है। ऊपर से ऐसा विराट अहंकार।
भारत के 'आत्मकेंद्रित युगपुरुष' से खबरदार, फिर न कहना बताया नहीं
- विचार
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- 29 Mar, 2025
भारत के प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों की ख्याति भारत से निकलकर विदेशों में फैल चुकी है। अमेरिका पत्रिका टाइम ने कभी मोदी के लिए चीफ डिवाइडर यानी देश को बांटने वाला मुखिया लिखा था। आज मोदी के चुनावी भाषण उसके चरितार्थ कर रहे हैं। ताज्जुब है कि मोदी आरएसएस से निकले हैं और उनकी भाषा संघ के अन्य लोगों की तरह शालीन नहीं है। देश के जाने-माने पत्रकार राहुल देव अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने इसी महीन बात को पकड़ा है और जनता से कहा है कि सावधान रहिए, संघ के लोगों की भाषा हमारे स्वयंभू युगपुरुष जैसी नहीं है। पूरा लेख पढ़कर आप खुद ही समझिए कि मोदी का विराट अहंकार कहां तक पहुंच गया है। एक जरूरी लेखः
