अपनी सरकार के ख़िलाफ़ व्याप्त ज़बर्दस्त एंटी-इंकम्बेंसी और चुनाव-प्रचार के दौरान संगठित विपक्ष के हमलों का मुक़ाबला करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिस आक्रामक मुद्दे की लंबे अरसे से तलाश थी वह मिल गया लगता है ! तलाश किए जा रहे मुद्दे में सिर्फ़ राहुल गांधी को ही निशाने पर लिया जाना था और वह मुमकिन नहीं हो पा रहा था। भाजपा में इस बारे में सोचा नहीं गया होगा कि तेलंगाना के असफल प्रयोग की तरह अगर नया दांव भी जनता के बीच नहीं चल पाया तो पार्टी क्या करेगी ?