कोरोना के चलते जारी वैश्विक उठापटक और आर्थिक मंदी की स्थिति में भविष्य के अनुमान संबंधी आंकड़े देना जोखिम का काम है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने समय से पूर्व रिजर्व बैंक की छमाही समीक्षा, मौद्रिक नीतियों में बड़े बदलाव और अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर कई घोषणाएं कीं तो इनमें आंकड़े सिरे से नदारद थे। यह पहली बार हुआ कि रिजर्व बैंक ने विकास दर जैसी प्राथमिक सूचना का अनुमान भी नहीं बताया ताकि आगे की तसवीर और फिर उस आधार पर लिए गए फ़ैसलों की समीक्षा की जा सके।
नोटबंदी, जीएसटी के बाद लॉकडाउन, अर्थव्यवस्था को बड़ी चोट की आशंका
- विचार
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- 30 Mar, 2020

पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी और अब बिना सोचे-समझे लिया गया संपूर्ण लॉकडाउन का फ़ैसला भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये बहुत भारी पड़ सकता है। लॉकडाउन और कोरोना संकट ने तमाम छोटे-बड़े कारोबार को पूरी तरह से ठप कर दिया है और हालात के फिलहाल सामान्य होने की उम्मीद भी नहीं है। ऐसे में सरकार और रिजर्व बैंक के क़दमों से अर्थव्यवस्था को जीवित रखना मुश्किल दिखाई देता है।
इससे एक दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना संकट के नाम से ही एक बड़े आर्थिक पैकेज (1.70 लाख करोड़) की घोषणा की। इसके बाद शेयर बाजार से लेकर आम आदमी तक ने यह समझकर राहत महसूस की कि सरकार को कुछ व्यावहारिक और ज़रूरी कदम उठाने भी आते हैं। इस बार के पैकेज का ज्यादातर पैसा जरूरतमंदों के हिस्से में जाएगा, पर उससे स्थिति संभलेगी, इसमें शक है।