किसानों के लिए बनाये गए तीन क़ानून आज मोदी सरकार के गले की हड्डी बन गए हैं। सत्ता के गुरूर में किसी भी बड़े क़ानून को बनाने के सर्वमान्य तरीकों को ठेंगे पर रखा गया, नतीजतन किसान भड़क गए। जो आंदोलन पहले मात्र पंजाब और हरियाणा के किसानों तक सीमित था, राष्ट्रीय स्वरुप ले रहा है क्योंकि आंदोलनकारियों ने स्थिति को देखते हुए मांग की धारा मोड़ दी है।