अर्णब गोस्वामी क्या हिरासत से आज़ाद होने के बाद पूरी तरह से बदल जाएंगे? क्या वे अपने सभी तरह के विरोधियों के प्रति, जिनमें कि मीडिया का एक बड़ा वर्ग भी अब शामिल हो गया है, पहले की अपेक्षा कुछ उदार और विनम्र हो जाएँगे? जिस तरह की बुलंद और आक्रामक आवाज़ को वे अपनी पहचान बना चुके हैं, क्या उसकी धार हिरासत की अवधि के दौरान किसी भी कोने से थोड़ी बोथरी हुई होगी? या ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है?
हमें अर्णब से और अधिक डरने के लिए तैयार रहना चाहिए?
- विचार
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- 9 Nov, 2020

केवल एक व्यक्ति और उसके मीडिया प्रतिष्ठान के पक्ष में एक सौ पैंतीस करोड़ के देश के गृह मंत्री और प्रसारण मंत्री द्वारा सार्वजनिक तौर पर सहानुभूति व्यक्त करना क्या उस मीडिया की आज़ादी के लिए ज़्यादा बड़ा ख़तरा नहीं माना जाना चाहिए जो अर्णब के साथ नहीं खड़ा है?
आशंकाएँ इसी बात की ज़्यादा हैं कि हिरासत के (पहले?) एपिसोड के ख़त्म होते ही अर्णब अपने विरोधियों के प्रति और ज़्यादा असहिष्णु और आक्रामक हो जाएँगे। जो लोग उन्हें नज़दीक से जानते-समझते हैं, उनके पास ऐसा मानने के पुख़्ता कारण भी हैं।