कुछ जानकारों ने दावा किया है कि मोदी ने ऊँची जातियों को दस फ़ीसदी का आरक्षण घोषित करके एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक मार दिया है जिससे 2019 के चुनाव के लिए पूरी हवा उनके पक्ष में बहने लगेगी। इस तरह का विश्लेषण ताज्जुब में डाल देता है। अभी पहली तारीख़ को ही मोदी ने एएनआई को दिये इंटरव्यू में कहा था कि बीजेपी को ब्राह्मण-बनिया पार्टी मानने वाले ग़लती पर हैं। ठीक एक हफ़्ते बाद ही अपनी इस बात को ग़लत साबित करते हुए उन्होंने दिखा दिया कि ब्राह्मण-बनिया पार्टी की छवि से मुक्ति पाना बीजेपी के लिए कितना मुश्किल है। केवल बीजेपी ही ब्राह्मण-बनियों को आरक्षण दे सकती थी। और, बीजेपी के एक ऐसे प्रधानमंत्री ने यह आरक्षण दिया है जो पिछले चार साल से पिछड़े वर्ग का राष्ट्रीय नेता बनने की कोशिश कर रहा था। इसके लिए आयोग बैठाये जा रहे थे, कमेटियाँ गठित की जा रही थीं। सोशल इंजीनियरिंग की योजनाएँ तैयार की जा रही थीं। लेकिन, ऊँची जातियों द्वारा पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को दिये गये मामूली से झटके ने इस दीर्घकालीन योजना को पृष्ठभूमि में धकेल दिया।