कभी 26 जनवरी आने के कुछ दिन पहले से ही बाज़ार और मुहल्ले तिरंगी रंगत में डूबने लगते थे। चौराहों पर देशभक्ति के तमाम गीत बजने लगते थे जिनमें कभी कहा जाता था, “हम लाये हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के, इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के”, तो कभी ये कि “इंसाफ़ की डगर पे बच्चों दिखाओ चल के, ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के” और कभी “न हिंदू बनेगा न मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद तू इंसान बनेगा...!”…..इन गीतों में एक ऐसा भारत बनाने का सपना दर्ज था जो इंसानियत और इंसाफ़ पर आधारित हो।