जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को बेअसर करने के फ़ैसले के बाद पाकिस्तान की ओर से युद्ध की चेतावनियाँ दी जा रही हैं तो भारत की ओर से भी कहा जा रहा है कि सेनाएँ किसी भी स्थिति का सामना करने के लिये मुस्तैद हैं। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने जब यह कहा कि पुलवामा जैसी कोई वारदात फिर हो और भारत यदि उसका जवाब दे तो स्वाभाविक है कि पाकिस्तान भी उसका जवाब देगा और इसके बाद युद्ध छिड़ जाएगा। यह युद्ध कहाँ तक जाएगा कहा नहीं जा सकता। थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने तो यहाँ तक कहा कि पाकिस्तानी हमले का जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने पूरी तैयार कर ली थी। इसके बाद वायुसेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल बी. एस. धनोआ ने भी कहा कि भारतीय वायुसेना हमेशा चौकस रहती है और वह किसी भी हमले का जवाब देने के लिए तैयार है।
सवाल यह उठता है कि यदि वाक़ई युद्ध छिड़ जाए तो इसका क्या हश्र होगा। क्या भारतीय सेनाएँ इतनी सक्षम हैं कि वह पाकिस्तानी सेना को पटखनी दे सकें। यदि भारत और पाकिस्तान की सेनाओं में तैनात हथियार प्रणालियों का तुलनात्मक आँकड़ा देखें तो निश्चय ही भारतीय सेनाएँ पाकिस्तान पर काफ़ी भारी पड़ेंगी। लेकिन क्या युद्ध की हालत में भारतीय सेनाएँ कूच करती हुई पाकिस्तानी इलाक़े में घुस जाएँगी और पाकिस्तानी सेना कुछ नहीं कर पाएगी?
भारतीय वायुसेना ने बालाकोट पर सर्जिकल स्ट्राइक की और इसके एक दिन बाद ही पाकिस्तानी वायुसेना के लड़ाकू विमानों का जत्था भारतीय सीमा पार कर जम्मू इलाक़े में घुस आया और भारतीय वायुसेना का एक मिग-21 विमान मार गिराते हुए लौट गया। आनन-फानन में भारतीय वायुसैनिक पाकिस्तानी हमले का मुक़ाबला करने को उठे तो अपने ही एक हेलिकॉप्टर को मार गिराया जिस पर सात वायुसैनिक सवार थे। ज़रूर भारतीय वायुसैनिकों ने भी पाकिस्तान का एक एफ़-16 विमान मार गिराया, लेकिन कुल मिलाकर नतीजा क्या निकला? खेल बराबरी पर ही रहा कहा जा सकता है।
बालाकोट के बाद का पाकिस्तानी हवाई हमला भारतीय सेनाओं के लिए एक बड़ा सबक़ कहा जा सकता है। बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के बाद इस बात का पूरा अंदेशा था कि पाकिस्तान भी जवाबी कार्रवाई करेगा लेकिन करगिल की तरह एक बार फिर भारतीय सेनाएँ सोती हुई पाई गईं।
कोई देश जब युद्ध छेड़ता है तो चेतावनी दे कर नहीं। सरसराते हुए दुश्मन के लड़ाकू विमान सीमा में घुसते हुए देखे जाएँगे और भारतीय ठिकानों पर हमले कर लौट जाएँगे या हो सकता है कि उनके कुछ विमान भी भारतीय इलाक़े में मार गिराए जाएँ।
ऐसा हुआ तो निश्चय ही पूर्ण स्तर का युद्ध छिड़ सकता है और ऐसी हालत में भारत और पाकिस्तान के लड़ाकू विमान एक-दूसरे के इलाक़े में हमले करते नज़र आने लगेंगे। सीमा पर होवित्ज़र तोपों और मेन बैटल टैंकों को अपना हुनर दिखाने का मौक़ा भी शायद नहीं मिले। यह भी मान कर चलना सही नहीं होगा कि युद्ध केवल जम्मू-कश्मीर के इलाक़े तक ही सीमित रहेगा। युद्ध को पूर्ण स्तर का भड़काने के लिए पाकिस्तान की पूरी कोशिश होगी क्योंकि उसे पता है कि सारी दुनिया को पाकिस्तानी परमाणु बमों का भय सताने लगेगा और तब अंतरराष्ट्रीय समुदाय बीच बचाव के लिए कूद पड़ेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्र्म्प ने तो खुल कर दोबारा बोल ही दिया है कि उन्हें आगे आना पड़ेगा। बाक़ी दुनिया भी चुप नहीं बैठेगी और भारत को ही नसीहत देने लगेगी कि धैर्य रखे और संयम बरते।
युद्ध हुआ तो दोनों ओर से बम बरसेंगे
युद्ध जब ज़ोर पकड़ेगा तब दोनों ओर से लड़ाकू विमान एक-दूसरे के इलाक़े में बम गिराते और मिसाइलें फेंकते हुए नज़र आएँगे और इस दौर में कब बैलिस्टिक मिसाइलें चलने लगेंगी कहा नहीं जा सकता है। इन मिसाइलों को भारतीय इलाक़े में गिरने से रोकने का फ़िलहाल कोई इंतज़ाम भारतीय सेनाओं के पास नहीं है। पूरा युद्ध हवाई और मिसाइली हमलों से संचालित होगा और तब ये आँकड़े कोई मायने नहीं रखेंगे कि भारतीय सेना के पास पाकिस्तान से कहीं अधिक मुख्य युद्धक टैंक हैं या कहीं अधिक लड़ाकू विमान हैं या अधिक संख्या में पनडुब्बियाँ हैं या फिर भारत के पास लम्बी दूरी वाली बेहतर मारक क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइलें हैं।
भारत और पाकिस्तान की सेनाएँ
भारतीय सेनाओं के पास क़रीब 14 लाख जवान हैं जबकि पाकिस्तान में 6,53,800 सैनिक।
मिसाइल और परमाणु हथियार- दोनों देशों के पास परमाणु हथियार गिराने की क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। भारत के पास पाँच हज़ार किलोमीटर वाली अग्नि मिसाइल और ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का भंडार है जबकि पाकिस्तान के पास दो हज़ार किलोमीटर वाली शाहीन और गोरी मिसाइलें हैं। पाकिस्तान की मिसाइलें भारत के सभी बड़े शहरों पर गिराई जा सकती हैं।
शोध संस्था सिपरी के मुताबिक़ पाकिस्तान के पास 140 से 150 परमाणु बम हैं जबकि भारत के पास 130 से 140।
थलसेना- भारतीय थलसेना में क़रीब साढ़े तीन हज़ार मेन बैटल टैंक, 31 सौ इनफैन्ट्री फाइटिंग ह्वीकल, 3360 बख्तरबंद वाहन और 9719 तोपें हैं। पाकिस्तान के पास 2496 टैंक, 1605 बख्तरबंद वाहन, 4472 तोपें जिसमें 375 होवित्ज़र तोपें शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय सामरिक अध्ययन संस्थान (आईआईएसएस) के मुताबिक़ भारत के पास पारम्परिक हथियार पाकिस्तान से ज़्यादा हैं लेकिन भारतीय सेनाएँ गोलाबारूद और स्पेयर पार्ट्स की सप्लाई की समस्या से जूझ रही हैं।
वायुसेना- भारत के पास क़रीब 600 लड़ाकू विमान, 127, 000 वायुसैनिक हैं। पाकिस्तान के पास 425 लड़ाकू विमान और पूर्व चेतावनी देने वाले सात टोही विमान हैं जो भारतीय वायुसेना से तीन अधिक हैं।
नौसेना- भारतीय नौसेना के पास एक विमानवाहक पोत, 16 पनडुब्बियाँ, 14 विध्वंसक पोत, 13 फ्रिगेट और 75 समुद्री लड़ाकू विमान, कुल नौसैनिक 67,700। दूसरी ओर पाकिस्तान के पास नौ फ्रिगेट, आठ पनडुब्बियाँ और 8 समुद्री लड़ाकू विमान।
परमाणु हमले का ख़तरा
दोनों पक्षों की कोशिश होगी कि युद्ध का परिणाम उसके पक्ष में जाए और इसके लिए पाकिस्तान की ओर से ज़रूर यह कोशिश होगी कि वह ताबड़तोड़ भारत के मुख्य शहरों पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागने लगे। भले ही इन पर परमाणु बम नहीं लदा हो। और जब हारने वाले पक्ष को लगने लगेगा कि युद्ध उसके हाथ से बाहर निकलता जा रहा है तब अंतिम हथियार के तौर पर पाकिस्तान परमाणु हथियार चलाने से बाज नहीं आएगा। सबसे भयावह दृश्य इस तरह उभर सकता है कि पाकिस्तान अपना परमाणु बम भारत के किसी शहर पर गिरा दे और जवाब में भारत भी पाकिस्तान को मटियामेट करने वाला परमाणु हमला कर दे। भारत की ओर से यह इशारा भी कर दिया गया है कि वह पहले परमाणु हमला नहीं करने की अपनी नीति बदल भी सकता है।
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