बीते कुछ दिनों में हरेक जागरूक हिन्दुस्तानी का वास्ता इस सवाल से ज़रूर पड़ा होगा कि पश्चिम के विकसित देशों की अपेक्षा क्या भारत पर कोरोना की मार कम पड़ी है? क्या भारत के आँकड़े देश की सच्ची तसवीर दिखा रहे हैं? यदि आपके ज़हन में ऐसे सवाल उठे हैं तो आपका कौतूहल बिल्कुल वाज़िब है। कोरोना के कुछेक आँकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं। मसलन, भारत में कोरोना से संक्रमित होने के बाद स्वस्थ होने वालों की तादाद 7.7 प्रतिशत ही क्यों है, जबकि दुनिया का औसत 21 फ़ीसदी लोगों का है? इसी तरह, ये चमत्कार नहीं तो फिर और क्या है कि दुनिया में कोरोना के जहाँ 5.8 फ़ीसदी मरीज़ मर रहे हैं, वहीं भारत में ये महज 2.8 प्रतिशत ही है?