भारत की विदेश नीति के सामने एक बड़ी दुविधा आ फँसी है। भारत शीघ्र ही विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ का अध्यक्ष बननेवाला है। उसके पहले इस संगठन के संचालक मंडल की बैठक होनेवाली है। इस बैठक में ताइवान पर्यवेक्षक की तरह शामिल हो, ऐसा कई देश चाहते हैं जबकि चीन इसके बिल्कुल विरुद्ध है, क्योंकि वह ताइवान को अपना एक प्रदेश भर मानता है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, कई यूरोपीय देश और कुछ लातीनी अमेरिकी देश भी चाहते हैं कि ताइवान भी उस बैठक में भाग ले और इस विश्व संगठन को वह वे रहस्य बताए, जिनके चलते उसने कोरोना पर ज़बर्दस्त काबू पाया। यहाँ भारत के लिए सवाल यह है कि इस मुद्दे पर वह किसका समर्थन करे, चीन का या ताइवान का?