अफ़ग़ानिस्तान के तालिबान संगठन ने भारत के प्रति अपने रवैए में एकदम परिवर्तन कर दिया है। पाकिस्तान के लिए तो यह एक बड़ा धक्का है लेकिन यह रवैया हमारे विदेश मंत्रालय के सामने भी बड़ी दुविधा खड़ी कर देगा। अब से पहले तालिबान जब भी जिहाद का आह्वान करते थे, वे कश्मीर का उल्लेख ऐसे करते थे, जैसे कि वह भारत का अंग ही नहीं है। वे कश्मीर को हिंसा और आतंकवाद के ज़रिए भारत से अलग करने की भी वकालत किया करते थे। लेकिन अब तालिबान के दोहा में स्थित केंद्रीय कार्यालय के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने बाक़ायदा एक बयान जारी करके कहा है कि कश्मीर भारत का आतंरिक मामला है और हमारी नीति यह है कि हम अन्य देशों के मामले में कोई दखल नहीं देते हैं।
तालिबान बोला- कश्मीर भारत का आंतरिक मामला; फिर उसका बहिष्कार क्यों?
- विचार
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- 21 May, 2020

यह ठीक है कि अफ़ग़ानिस्तान की वर्तमान सरकार से भारत के संबंध अति उत्तम हैं, इसके बावजूद मेरी राय है कि तालिबान के लिए अपनी खिड़की खुली रखना भारत के लिए ज़रूरी है। यह कितने दुख और आश्चर्य की बात है कि अफ़ग़ानिस्तान भारत का पड़ोसी है और उसके भविष्य के निर्णय करने का काम अमेरिका कर रहा है? भारत की कोई राजनीतिक भूमिका ही नहीं है।