होली प्रकृति का मंगल उत्सव है। भारतीय परम्परा में आनंद का उत्सव। होली समाज की जड़ता और ठहराव को तोड़ने का त्योहार है। उदास मनुष्य को गतिमान करने के लिए राग और रंग ज़रूरी है। होली में दोनों हैं। यह सामूहिक उल्लास का त्योहार है।
होली विशेष : कहाँ गया होली का उल्लास, कहाँ बिला गई है फागुन की मस्ती?
- विचार
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- 7 Mar, 2023

होली में राग, रंग, हँसी, ठिठोली, लय, चुहल, आनंद और मस्ती है। इस त्योहार से सामाजिक विषमताएँ टूटती हैं, वर्जनाओं से मुक्ति का अहसास होता है, जहाँ न कोई बड़ा है, न छोटा; न स्त्री न पुरुष; न बैरी, न शत्रु। इस पर्व में व्यक्ति और समाज राग और द्वेष भुलाकर एकाकार होते हैं।