“गांधी जी ने कहा था हिंदुत्व सत्य के सतत अनुसंधान का नाम है, ये काम करते-करते हिंदू समाज थक गया है, सो गया है, परन्तु जब जागेगा, पहले से अधिक ऊर्जा लेकर जागेगा और सारी दुनिया को प्रकाशित करेगा”- उपरोक्त उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने विगत सप्ताह देश की राजधानी में एक पुस्तक के विमोचन के दौरान व्यक्त किये।
अगर “अभी हिंदू थक गया है, सो रहा है” तो जिम्मेदार कौन?
- विचार
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- 3 Mar, 2021

क्यों दलितों और पिछड़ों को ब्राह्मणवादी हिंदू व्यवस्था में समाहित करने का अभियान संघ का प्रमुख एजेंडा नहीं रहा जबकि अल्पसंख्यकों को मूल हिंदू जीवन शैली में समाहित करने की पुरजोर वकालत वीर सावरकर से गोलवलकर तक करते रहे?
लेकिन शायद सरसंघचालक भूल गए कि जिस साल और दिन संघ का जन्म हो रहा था उसी साल और दिन के लगभग पांच हफ्ते बाद गाँधी ने यंग इंडिया के एक लेख में कहा था “हमें हर चीज को यह कह कर नहीं टालना चाहिए कि इसे स्वराज मिलने के बाद करेंगे क्योंकि इसका सीधा मतलब है स्वराज के उद्देश्य को ही ख़ारिज कर देना। स्वराज वह समाज ही हासिल करता है जो बहादुर और पवित्र सोच वाला हो।”