‘बच्चा किसके साथ अच्छी तरह से खेल सकता है, अपनी माँ के साथ या पराई माँ के साथ! अगर कोई आदमी किसी जबान के साथ खेलना चाहे और जबान का मजा तो तभी आता है, जब उसको बोलने वाला या लिखने वाला उसके साथ खेले, तो कौन हिंदुस्तानी है जो अंग्रेजी के साथ खेल सकता है? हिंदुस्तानी आदमी तेलुगू, हिंदी, उर्दू, बंगाली, मराठी के साथ खेल सकता है। उसमें नए-नए ढाँचे बना सकता है। उसमें जान डाल सकता है, रंग ला सकता है। बच्चा अपनी माँ के साथ जितनी अच्छी तरह से खेल सकता है, दूसरे की माँ के साथ उतनी अच्छी तरह से नहीं खेल सकता।’ - डॉ. राममनोहर लोहिया