इस लेखक की दृष्टि से नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या नहीं की थी। दोनों के बीच व्यक्तिगत दुश्मनी जैसे रिश्ते नहीं थे, और न ही कोई सम्पति विवाद था। फिर भी गोडसे ने आज़ से 77 वर्ष पहले मोहनदास करमचंद गांधी उर्फ़ बापू पर तीन गोलियां चला कर उनकी दैहिक भूमिका का पटाक्षेप कर दिया था। आख़िर क्यों? इस सवाल ने आज़ विकराल आकार ले लिया है।