राजनीति अब सेवा नहीं रही। इसने पेशे का रूप ले लिया है। ऐसे में संसार की सबसे पुरानी पार्टियों में से एक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं खोज पाना हैरत में डालता है। इन दिनों मौजूदा सियासत चेहरों पर चलती है। जिस दल के पास जितने अधिक और चमकदार चेहरे होंगे, वह अन्य दलों पर भारी पड़ जाएगा।
कांग्रेस के लिए गांधी परिवार मजबूरी या मुसीबत!
- विचार
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- 11 Aug, 2020

कांग्रेस को यह समझना होगा कि भारतीय जनता पार्टी गांधी-नेहरू परिवार पर जितना तीखा हमला बोलती है तो उसका मतलब परिवारवाद या वंशवाद पर हमला बोलना नहीं होता। यह बीमारी तो उसके अपने भीतर भी है। सच्चाई तो यह है कि बीजेपी जानती है कि कांग्रेस को मृत्युशैया से वापस देश की मुख्यधारा की दौड़ में शामिल कराने की क्षमता इसी परिवार ने दिखाई है।
यह दृश्य अस्सी के दशक की भारतीय हिंदी फ़िल्मों का स्मरण कराता है। कहानी और गीत कमज़ोर होते, तो निर्माता-निर्देशक बहु सितारा फ़िल्म बनाते थे। यानी सारे बिकने वाले अभिनेता-अभिनेत्री फ़िल्म में नज़र आते थे। फ़िल्म अपना ख़र्चा निकाल लेती और कुछ मुनाफ़ा भी कमा लेती थी। इस तरह वैतरणी पार हो जाती थी। आज सियासत भी ऐसी ही है। चेहरों के भाव लगाइए और स्थिति मज़बूत बनाइए।