पंजाब और हरियाणा को अब भूल जाइए। अब ख़बर देश के बड़े हिस्से से आ रही है। यह आंदोलन देश का अबतक का सबसे बड़ा आंदोलन बन चुका है। इसके प्रभाव में देश का बड़ा हिस्सा आ चुका है। आज दिल्ली की और हर राज्य से जाने वाली सड़क का हाल लीजिएगा तब अंदाजा लग पाएगा यह कितना बड़ा और ज़मीन से जुड़ा आंदोलन बन चुका है।
गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली के बाद अब संसद कूच!
- विचार
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- 26 Jan, 2021

26 जनवरी को किसान रैली को देश का ही नहीं विदेश का मीडिया भी कवर कर रहा है। वह एक फ़रवरी को भी यह आंदोलन कवर करेगा।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वे लोग जो पिछले तीन चुनाव से बीजेपी के बड़े समर्थक थे वे इस आंदोलन को हर तरह की मदद दे रहे हैं। वैसे भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के जाट, पंजाबी इस आंदोलन की धुरी बने हुए हैं। आर्य समाज आंदोलन के असर वाला यह इलाक़ा दिल्ली से बुरी तरह नाराज़ हो चुका है। सिर्फ़ किसान और आढ़तिये ही नहीं नाराज़ हैं बल्कि मज़दूर और खेती किसानी से जुड़े सभी तबक़े नाराज़ और परेशान हैं। छोटे व्यापारी भी।