मथुरा के एक मंदिर में नमाज़ पढ़ने के अपराध में पुलिस चार नौजवानों को गिरफ्तार करने में जुटी हुई है। उन चार में से दो मुसलमान हैं और दो हिंदू हैं। ये चारों नौजवान दिल्ली की खुदाई-खिदमतगार संस्था के सदस्य हैं। इस नाम की संस्था आज़ादी के पहले सीमांत गांधी बादशाह ख़ान ने स्वराज्य लाने के लिए स्थापित की थी। अब इस संस्था को दिल्ली का गांधी शांति प्रतिष्ठान और नेशनल एलायंस फॉर पीपल्स मूवमेंट चलाते हैं। इस संस्था के प्रमुख फैजल ख़ान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और उसके तीन अन्य साथी अभी फरार हैं।
मंदिर में नमाज़: क्या खुसरो, रसखान को फाँसी देंगे?
- विचार
- |
- |
- 4 Nov, 2020

एक बार न्यूयॉर्क में कई पठान उद्योगपतियों ने मेरे साथ मिलकर हवन में आहुतियाँ दी थीं। बगदाद के पीर गैलानी की दरगाह में बैठकर मैंने वेदमंत्रों का पाठ किया है और 1983 में पेशावर की बड़ी मस्जिद में नमाज़े-तरावी पढ़ते हुए बुरहानुद्दीन रब्बानी ने मुझे अपने साथ बिठाकर ‘संध्या’ करने दी थी। लंदन के ‘साइनेगॉग’ (यहूदी मंदिर) में भी सभी यहूदियों ने मेरा स्वागत किया था। किसी ने जाकर थाने में मेरे ख़िलाफ़ रपट नहीं लिखवाई थी।
इन चारों नौजवानों के ख़िलाफ़ मंदिर के पुजारियों ने पुलिस में यह रपट लिखवाई है कि इन लोगों ने उनसे पूछे बिना मंदिर के प्रांगण में नमाज़ पढ़ी और उसके फ़ोटो इंटरनेट पर प्रसारित कर दिए। इसका उद्देश्य हिंदुओं की भावना को ठेस पहुँचाना और देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा करना रहा है।