अभी तक घोषणा नहीं हुई है कि अमेरिका का अगला राष्ट्रपति कौन बनेगा? लेकिन मान लें कि कुछ अजूबा हो गया और 2016 की तरह इस बार भी डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बन गए तो भारत को कोई ख़ास चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। ट्रंप और हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई के बीच ऐसी व्यक्तिगत जुगलबंदी बैठ गई है कि ट्रंप के उखाड़-पछाड़ स्वभाव के बावजूद भारत को कोई ख़ास हानि होनेवाली नहीं है। इसका अर्थ यह नहीं कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति का संचालन नेताओं के व्यक्तिगत समीकरण पर होता है। उसका कुछ योगदान ज़रूर रहता है लेकिन राष्ट्रहित ही संबंधों पर मूलाधार होता है।
ट्रंप या बाइडन; हमें किससे ज़्यादा नफ़ा या नुक़सान?
- विचार
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- 6 Nov, 2020

बाइडन के रवैए को हम भारत ही नहीं, यूरोपीय राष्ट्रों, चीन, रुस, ईरान और मेक्सिको जैसे राष्ट्रों के प्रति भी काफ़ी संयत पाएँगे। इसका अंदाज़ हमें ट्रंप और बाइडन के चुनावी भाषणों की भाषा से ही लग जाता है। यह ठीक है कि बाइडन और कमला ने मानव अधिकारों, कश्मीर और नागरिकता संशोधन क़ानून जैसे मुद्दों पर भारत का विरोध किया था लेकिन उसका मूल कारण यह रहा हो सकता है कि ट्रंप ने इन्हीं मुद्दों पर हमारा समर्थन किया था।