चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश के बीजेपी और कांग्रेस नेताओं को वाणी-संयम के जो निर्देश दिए हैं, वे बहुत सामयिक हैं लेकिन कांग्रेसी नेता कमलनाथ का ‘मुख्य चुनाव-प्रचारक’ का दर्जा छीनकर उसने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि अब अदालत ही उसका फ़ैसला करेगी।