नि:संदेह 78 वर्षीय डोनाल्ड ट्रम्प ने इतिहास रच दिया है। चार साल के अंतराल (2020-24) के बाद अभूतपूर्व शान के साथ राष्ट्रपति पद पर वापसी की है। इसके साथ ही अमेरिकी संसद के दोनों सदनों : प्रतिनिधि सभा (निचला सदन यानी लोकसभा) और सीनेट (यानी राज्यसभा) के चुनावों में भी जीत हासिल की है। संयुक्त राज्य अमेरिका के दोनों सत्ता प्रतिष्ठानों (राष्ट्रपति और संसद) पर ट्रम्प के नेतृत्व में देश की सबसे पुरानी रिपब्लिकन पार्टी ने अपनी जीत का परचम लहरा दिया है। ट्रम्प ने बूढ़ी पार्टी में नई जान फूंक दी है। निश्चित ही उपराष्ट्रपति बनने जा रहे सहयोगी जे. डी. वेन्स ने भी ट्रम्प की जीत में प्रभावशाली भूमिका निभाई है। उनकी भारत वंशी पत्नी उषा वेन्स का भी परोक्ष योगदान रहा है। वे पहले डेमोक्रेट की सक्रिय सदस्या थीं। शादी के बाद रिपब्लिकन समर्थक बनी हैं।
ट्रम्प की जीत का संदेश- दुनिया में लौट रहा चरम दक्षिणपंथी लोकतंत्र!
- विचार
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- 29 Mar, 2025

डोनाल्ड ट्रम्प को चरम दक्षिणपंथी, स्त्री विरोधी, गर्भपात विरोधी और सुपर रिच समर्थक माना जाता है, फिर भी वह इलेक्टोरल और पॉपुलर वोट में जीत गए। इसका क्या मतलब है। पढ़िए, रामशरण जोशी की त्वरित टिप्पणी...
दूसरी ओर डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार व निवर्तमान उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने भी ज़बरदस्त टक्कर दी। वे पहली भारत वंशी महिला हैं जिन्होंने राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा। हालाँकि, इससे पहले 2016 के चुनावों में डेमोक्रेट श्वेत उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन भी अपनी क़िस्मत आज़मा चुकी हैं, लेकिन ट्रम्प से हार गई थीं। इसका निष्कर्ष यह निकला कि विश्व का सबसे शक्तिशाली व विकसित राष्ट्र अमेरिका किसी महिला को राष्ट्रपति के पद पर बैठाने के लिए अभी तैयार नहीं है। क्लिंटन की हार के बाद टिप्पणियां थीं कि अमेरिकी समाज मूलतः पुरुष सत्तावादी है। वह पुरुष वर्चस्व और पितृसत्ता को पसंद करता है। इसलिए क्लिंटन रहे या हैरिस, किसी भी महिला का शिखर रोहण लगभग नामुमकिन है।