भारतीय उपमहाद्वीप में पत्रकार और मीडियाकर्मी हल्ला मचा रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान, दोनों देशों में मीडिया की आज़ादी पर अंकुश लगा दिया गया है। भारत में बहुत से पत्रकार शिकायत करते हैं कि वे सरकार से कोई सवाल नहीं कर सकते, क्योंकि ऐसा करने पर वे अपनी नौकरी खो सकते हैं या उन पर देशद्रोह और अन्य आरोपों को लेकर मुक़दमा दर्ज किया जा सकता है, जैसा कि वास्तव में कई पत्रकारों के साथ हो भी चुका है। वे पाकिस्तान में जंग ग्रुप ऑफ़ पब्लिकेशंस के मालिक मीर शकीलुर रहमान की गिरफ्तारी और लंबे समय तक हिरासत में रहने के ख़िलाफ़ तथा सरकार द्वारा पत्रकारों को परेशान करने का आरोप लगाते हैं। लेकिन क्या पत्रकारों के ये आरोप उचित हैं? मेरे हिसाब से ऐसा नहीं है और इसके पक्ष में मेरे अपने कुछ तर्क हैं।