मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा शहर इंदौर एक बार फिर चर्चा में है। स्वच्छता के क्षेत्र में छह सालों से देश भर में पहले स्थान पर बने रहते हुए नाम कमाने वाला चालीस लाख की आबादी का शहर लगता है किसी नये प्रयोग की तलाश में है! जो चल रहा है उसके ज़रिए कुछ प्रभावशाली लोग सांस्कृतिक तानाशाही को आमंत्रित करते नज़र आते हैं। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के साथ वैचारिक असहिष्णुता पर भी नागरिक स्वीकृति हासिल करने के प्रयास हो रहे हैं। बहुसंख्यवाद नई पहचान के रूप में स्थापित होता दिखता है और कोई चिंता भी नहीं व्यक्त कर रहा है। स्वतंत्रता के साथ विचार और असहमति व्यक्त करने की व्यक्तिगत आज़ादी पर सामूहिक नियंत्रण क़ाबिज़ होने जा रहा है!