मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा शहर इंदौर एक बार फिर चर्चा में है। स्वच्छता के क्षेत्र में छह सालों से देश भर में पहले स्थान पर बने रहते हुए नाम कमाने वाला चालीस लाख की आबादी का शहर लगता है किसी नये प्रयोग की तलाश में है! जो चल रहा है उसके ज़रिए कुछ प्रभावशाली लोग सांस्कृतिक तानाशाही को आमंत्रित करते नज़र आते हैं। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के साथ वैचारिक असहिष्णुता पर भी नागरिक स्वीकृति हासिल करने के प्रयास हो रहे हैं। बहुसंख्यवाद नई पहचान के रूप में स्थापित होता दिखता है और कोई चिंता भी नहीं व्यक्त कर रहा है। स्वतंत्रता के साथ विचार और असहमति व्यक्त करने की व्यक्तिगत आज़ादी पर सामूहिक नियंत्रण क़ाबिज़ होने जा रहा है!
अधिनायकवाद की शुरुआत नागरिकों के घर से होती है?
- विचार
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- 16 Sep, 2023

दुनिया के कई देशों में नागरिकों का लोकतंत्र से भरोसा उठ रहा है और वे तानाशाही वाले शासन के पक्ष में खड़े हो रहे हैं! क्या इंदौर (और प्रदेश) को उसी दिशा में ले जाया जा रहा है?
‘भारत-पे’ के को-फाउंडर, मोटिवेशनल स्पीकर और चर्चित टीवी शो ‘शार्क टैंक’ का हिस्सा रहे अशनीर ग्रोवर पिछले दिनों एक प्रतिष्ठित संस्था के आमंत्रण पर इंदौर यात्रा पर थे। संस्था के कार्यक्रम में किसी व्यक्ति ने पूछ लिया : “आपने भोपाल की तो तारीफ़ की है, हमसे (इंदौर से) क्या नाराज़गी है?” इस पर अशनीर ने जवाब दिया: “तीन-चार साल से सुन रहा हूँ कि इंदौर सबसे साफ़ शहर है। तुम सबने सर्वे को ख़रीदा है। क्लीनेस्ट में सिर्फ़ चिप्स के पैकेट्स को ही नहीं मलबे को भी गिनते हैं।” अशनीर के इतना बोलते ही शहर में बवाल मच गया। नगर निगम के कर्मचारियों ने अशनीर का पुतला फूंक दिया। खाने-पीने के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध स्थान ‘छप्पन दुकान’ के व्यापारियों ने अशनीर को बाज़ार में घुसने नहीं देने की घोषणा कर दी।