दिल्ली पुलिस ने आप के निगम पार्षद ताहिर हुसैन के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। यह मुक़दमा मारे गए इंटेलीजेंस ब्यूरो के कर्मी अंकित शर्मा के परिजनों के बयान पर दर्ज किया गया है। अंकित शर्मा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि उन्हें एक बार नहीं 400 बार किसी नुकीली चीज से मारा गया। ज़ाहिर है यह एक आदमी का काम तो नहीं हो सकता।
दिल्ली दंगे की साज़िश का सुराग ही नहीं लगा तो जाँच एजेंसी क्या कर लेगी?
- विचार
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- 28 Feb, 2020

दिल्ली हिंसा सोची-समझी बड़ी साज़िश का हिस्सा है। बड़ी साज़िश मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि जिस तरह के हथियार इस्तेमाल किए गए वह अचानक एकत्रित नहीं हो सकते। इसकी तैयारी काफ़ी दिनों से की जा रही होगी। हालाँकि अभी यह जाँच का विषय है लेकिन वर्तमान हालात बड़ी साज़िश का संकेत दे रहे हैं। अब सवाल यह कि इस साज़िश का सुराग क्यों नहीं लगा?
कपिल मिश्रा के ख़िलाफ़ भी जाँच चल रही है। हाई कोर्ट पुलिस को इस बात के लिए फटकार भी चुका है। लेकिन सवाल है कि दिल्ली के दंगों की साज़िश क्या सिर्फ़ कपिल मिश्रा के बयान या ताहिर के घर की छत पर एकत्रित पत्थर के टुकड़ों, गुलेल और तेज़ाब, पेट्रोल बम आदि तक ही सीमित है? नहीं, यह बात दिल्ली पुलिस भी जानती है इसलिए जाँच के लिए बनाई गई एसआईटी में एक नहीं चार तेज़तर्रार माने जाने वाले एसीपी हैं।