कोरोना के साथ जंग में जिस तरह कोरोना योद्धाओं को सम्मानित करने के लिए देश भर में थालियां-तालियां बजाई गईं, दीये जलाए गए या उन पर पुष्प वर्षा की गई, उस सारी वंदना के बाद अगर दिल्ली में एक सिपाही की कोरोना से इसलिए मौत हो जाती है कि उसे कोई अस्पताल दाखिल नहीं करता तो फिर यह सवाल ज़रूर उठता है कि आखिर क्या वह सब सिर्फ दिखावा या पब्लिसिटी स्टंट था।
सिपाही अमित की मौत, अस्पतालों की जाँच से क्यों भाग रहे हैं केजरीवाल?
- विचार
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- 9 May, 2020

दिल्ली पुलिस के सिपाही अमित राणा की मौत केजरीवाल सरकार के राजधानी में बेहतर चिकित्सा इंतजामों के दावों को झूठा साबित करती है।
यह सवाल इसलिए उठता है कि जब सिपाही अमित को नहीं बचाया जा सका तो फिर आख़िर आम आदमी कहां जाएगा। एक ग़रीब आदमी जिसके पीछे न पुलिस का रौब है और न ही पहुंच, उसकी तो कोई सुनता भी नहीं है।