मोदी सरकार ने आधिकारिक तौर पर 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने का एलान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभाजन के दरमियान हुई हिंसा और विस्थापन का उल्लेख करते हुए ट्वीट किया है कि इसे याद रखने की जरूरत है। पूछा जाना चाहिए कि विभाजन के समय हुए खून-खराबे और बीसवीं शताब्दी के सबसे बड़े विस्थापन को याद रखना क्यों जरूरी है? अव्वल तो विभाजन जैसे दुस्वप्न को भूलकर आगे बढ़ने की जरूरत है। बेशक विभाजन के समय हुई गलतियों और बदमजगी से बचने की आज भी जरूरत है। इसलिए इतिहास से निश्चित तौर पर सबक लिया जा सकता है। लेकिन सवाल तो यह है कि क्या नरेंद्र मोदी ने विभाजन के इतिहास से सबक लेने के लिए विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने की घोषणा की है? दरअसल, सच्चाई कुछ और है।
विभाजन की विभीषिका को क्यों मनाना चाहती है सरकार?
- विचार
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- रविकान्त
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- 17 Aug, 2021
विभाजन केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के लिए त्रासद रहा है। महाद्वीप की भौगोलिक परिस्थितियों और विभाजन के तौर-तरीकों को देखा जाए तो लगता है कि बंटवारा बहुत अनियत, अनियंत्रित और अनियोजित था।
