भारत में कोरोना का प्रकोप एक तरफ़ नई ऊँचाइयों को छू रहा है और दूसरी तरफ़ हमारे अस्पताल लापरवाही और लूटमार में सारी दुनिया को मात दे रहे हैं। दिल्ली और मुंबई से कई ऐसी लोमहर्षक ख़बरें आ रही हैं कि उन पर विश्वास ही नहीं होता। कोरोना के मरीज़ों को और उनके रिश्तेदारों को यह कहकर टरका दिया जाता है कि अस्पताल में कोई बिस्तर खाली नहीं है। दिल्ली के एक मरीज़ को जो ख़ुद डाॅक्टर थे, पाँच सरकारी और ग़ैर-सरकारी अस्पतालों ने टरकाया और उन्हें रास्ते में ही दम तोड़ना पड़ा।
कोरोना: बिस्तर खाली नहीं? लूट-पाट बंद करें अस्पताल
- विचार
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- 7 Jun, 2020

भारत के निजी अस्पताल और निजी शिक्षा-संस्थान, कुछ सम्मानीय अपवादों को छोड़कर, शुद्ध लूट-पाट के अड्डे बन चुके हैं। इसीलिए चार-पाँच साल पहले मैंने लिखा था कि समस्त सांसदों, विधायकों, पार्षदों और सरकारी कर्मचारियों और उनके परिजनों का इलाज भी सरकारी अस्पतालों में और बच्चों की शिक्षा सरकारी स्कूल व कॉलेजों में ही होना चाहिए।