मोदी सरकार ने जिस ढंग से आधी रात को पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतों में ज़बरदस्त बढ़ोतरी की, उससे दो बातें साबित होती हैं। पहला, भले ही सरकार ने कभी मन्दी की बात को स्वीकार नहीं किया, लेकिन यह हक़ीक़त है कि कोरोना संकट से पहले ही भारत की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा चुकी थी। इतनी ज़्यादा कि लॉकडाउन के 40-50 दिनों का झटका भी झेलने की हालत में नहीं रही। दूसरा, ग़रीबों के लिए जहाँ कोरोना काल बनकर आया, वहीं अपनी अदूरदर्शी आर्थिक नीतियों से सरकार और उसका चहेता सम्पन्न वर्ग अब भारतीय मध्य वर्ग का कचूमर बनाने पर आमादा है।