‘लॉकडाउन’ दो सप्ताह के लिए और बढ़ गया है। ख़बर से किसी को कोई आश्चर्य नहीं हुआ। होना भी नहीं था। लोग मानकर ही चल रहे थे कि ऐसा कुछ होने वाला है और ‘शारीरिक रूप’ से तैयार भी थे। प्रतीक्षा केवल इस बात की ही थी कि घोषणा प्रधानमंत्री करेंगे या वैसे ही हो जाएगी। राष्ट्रीय स्तर पर रेड, ऑरेंज और ग्रीन ज़ोन के लिए जारी दिशा-निर्देशों के बाद राज्यों द्वारा भी अपने हिसाब से गुणा-भाग किया जा रहा है। छूट के निर्णय के शहरों और उनके हॉट स्पॉट पर लागू होने तक कई और संशोधन स्थानीय स्तरों पर कर दिए जाएँगे।अभी केवल ‘ग्रीन’ जनता को ही मास्क पहनकर खुले में प्राणायाम करने की छूट दी गयी है। हो सकता है कि उसके बाद केवल नाक भर को खुला रखने की छूट भी प्राप्त हो जाए। माना जाना चाहिए कि सबकुछ महामारी से मुक़ाबले की एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही किया जा रहा है।
लॉकडाउन: राज्यों की सीमाओं पर ‘कच्ची’ दीवारें उठ रहीं, सवाल क्यों नहीं उठ रहे?
- विचार
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- 3 May, 2020

राज्यों की सीमाओं पर अभी ‘कच्ची’ दीवारें उठ रही हैं, प्रदेशों को जोड़ने वाली सड़कों पर अभी ‘अस्थायी’ गड्ढे खोदे जा रहे हैं। सब कुछ कोरोना से बचाव के नाम पर हो रहा है। कोई न तो सवाल कर रहा है और न कोई जवाब दे रहा है।