कोरोना महामारी पूरे विश्व में अपना रौद्र रूप दिखा रही है। कोरोना संक्रमण से मरने वालों का आँकड़ा 2 लाख तक पहुँच चुका है। संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार करना भी एक बड़ी समस्या बन चुका है। किसी के शव के अंतिम संस्कार की विधि दरअसल इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपने जीवनकाल में किस धर्म से संबंधित था। विश्व का बहुसंख्य समाज जिसमें विश्व की दो सबसे बड़ी जनसंख्या यानी ईसाई व मुसलमान शामिल हैं, इन दोनों ही धर्मों में शवों को ज़मीन में क़ब्र खोदकर दफ़्न किये जाने की प्राचीन परम्परा है। इस विषय में हिन्दू धर्म को सबसे उदार अथवा समावेशी धर्म माना जा सकता है। सिख धर्म में भी शव का अग्नि दाह-संस्कार ही किया जाता है।
कोरोना: मृतकों को दफ़्नाएँ या जलाएँ, साफ़ क्यों नहीं कहता डब्ल्यूएचओ?
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- 26 Apr, 2020

संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार करना भी एक बड़ी समस्या बन चुका है। किसी के शव के अंतिम संस्कार की विधि दरअसल इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपने जीवनकाल में किस धर्म से संबंधित था।