बीजेपी के अध्यक्ष और देश के वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह ने गत शुक्रवार को संसद में अनुच्छेद 370 का मसला फिर से उठाते हुए याद दिलाया कि देश के संविधान में इसे ‘अस्थायी’ बताया गया है और उसकी इस ‘अस्थायी’ प्रकृति को जम्मू-कश्मीर के पहले प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला की रज़ामंदी हासिल थी। गृह मंत्री ने साफ़-साफ़ यह तो नहीं कहा कि अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया जाना चाहिए जैसा कि वे चुनाव प्रचार के दौरान कह रहे थे और जो बीजेपी के घोषणा-पत्र का हिस्सा भी है, लेकिन उनकी मंशा साफ़ थी।
अनुच्छेद 370 - विलय पत्र का अंतरंग हिस्सा है कश्मीर की स्वायत्तता
- विचार
- |
- नीरेंद्र नागर
- |
- 30 Jun, 2019

अनुच्छेद 370 पर विशेष : संसद में गृहमंत्री अमित शाह ने कश्मीर मुद्दे के लिए जवाहरलाल नेहरू को ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि संविधान में अनुच्छेद 370 स्थाई नहीं है। बीजेपी हमेशा से राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने की बात करती रही है। अमित शाह की इन बातों में कितनी सचाई है, यह जानने के लिए हम इस पर एक शृंखला प्रकाशित कर रहे हैं। पेश है इसकी पहली कड़ी।
अमित शाह तकनीकी तौर पर सही कह रहे हैं कि कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाला आर्टिकल यानी अनुच्छेद 370 अपने-आपमें ‘अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान’ के तौर पर ही बनाया गया था लेकिन तमाम अदालतें, यहाँ तक कि सर्वोच्च न्यायालय तक ने हाल-हाल तक (2018) में कहा है कि आज की तारीख़ में आर्टिकल 370 स्थायी स्वरूप हासिल कर चुका है और इसे किसी भी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता।
- Article 370
- Nirendra Nagar
- article 370 amit shah
- article 370 in j&k
- amit shah on article 370
- Jawahar Lal Nehru